•बेहतर स्तनपान निमोनिया में लाता है कमी • विश्व निमोनिया दिवस मनाया पर किया जाएगा जागरूक • भारत में 2030 तक 17 लाख से अधिक बच्चों को है निमोनिया का खतरा • बच्चों के लिए जरूरी है न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन।
विजय कुमार शर्मा, कुशीनगर केसरी, पटना, बिहार। भारत में प्रत्येक एक मिनट में एक बच्चा निमोनिया का शिकार होता है। देश में 2030 तक 17 लाख से अधिक बच्चों की निमोनिया संक्रमण का खतरा है। सेव द चिल्ड्रेन के एक वैश्विक अध्यन के अनुसार दुनिया में 2030 तक पांच साल से कम उम्र के 1.10 करोड़ बच्चों की जान इस संक्रमण हो सकती है। दुनिया भर में होने वाली बच्चों की मौतों में 18 फीसदी सिर्फ निमोनिया की वजह से होती है। विश्व में हर साल 5 साल से नीचे के उम्र के 20 लाख बच्चों की मौत निमोनिया से हो जाती है। मलेरिया, दस्त एवं खसरा को मिलाकर होने वाली बच्चों की होने वाली कुल मौत से अधिक निमोनिया की वजह से बच्चों की मौत हो जाती है। लोगों में इसे लेकर जागरूकता लाने के लिए आज विश्व निमोनिया दिवस मनाया जा रहा है।
बता दें कि बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है। न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है। इसके अलावा, डिप्थीरिया, काली खांसी और एचआईवी के इंजेक्शन भी निमोनिया से बचाव करते हैं। निमोनिया को दूर रखने के लिए व्यक्तिगत साफ-सफाई जरूरी है।छींकते-खांसते समय मुंह और नाक को ढक लें। समय-समय पर बच्चे के हाथ भी जरूर धोना चाहिए। बच्चों को प्रदूषण से बचायें और सांस संबंधी समस्या न रहें इसके लिए उन्हें धूल-मिट्टी व धूम्रपान करने वाली जगहों से दूर रखें। बच्चों के रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त पोषण दें। बच्चा छह महीने से कम का है, तो नियमित रूप से स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है।भीड़-भाड़ वाली जगह से भी बच्चों को दूर रखें क्योंकि ऐसी जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ वीके चौधरी ने बताया निमोनिया दो तरह के बैक्ट्रीरिया स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया एवं हीमोफीलियस इंफ्लूएंजा टाइप टू से होता है। बच्चों के लिए सबसे बड़ी जानलेवा संक्रामक बीमारी है। बैक्टीरिया से बच्चों को होने वाले जानलेवा निमोनिया को टीकाकरण कर रोका जा सकता है। बच्चों को न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन यानी पीसीवी का टीका दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा मौजूद है।
निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। बैक्टीरिया, वायरस या फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। आमतौर पर बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है और यह 10 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन खासकर 5 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इस लिए निमोनिया का असर जल्द होता है। यदि किसी को निमोनिया होता है तो उसे और अन्य तरह की बीमारियां जैसे खसरा, चिकनपॉक्स, टीबी, एड्स, अस्थमा, डायबिटीज, कैंसर और दिल के रोगियों को निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। इन लक्षणों से निमोनिया की करें पहचान :::.. • तेज बुखार होना • खांसी के साथ हरा या भूरा गाढ़ा बलगम आना • सांस लेने में दिक्कत होना • दांत किटकिटाना • दिल की धड़कन बढ़ना • सांस की रफ्तार अधिक होना • उलटी • दस्त • भूख की कमी • होंठों का नीला पड़ना • कमजोरी या बेहोशी छाना आदि।