बेतिया(प.चं.) :: भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद जिन्ना की टू नेशन थ्योरी के प्रबल विरोधी एवं सच्चे गांधीवादी थे : नीरज गुप्ता

शहाबुद्दीन अहमद, कुशीनगर केसरी, बेतिया पश्चिम चंपारण बिहार। आज सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में महान स्वतंत्रता सेनानी एवं जिन्ना के टू नेशन थ्योरी के प्रबल विरोधी भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की 132 वी जन्मदिवस पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया! जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया!


इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल ने भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला ! इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद ने कहा कि आज ही के दिन 11 नवंबर 1888 ई0 को भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म हुआ था! उनका सारा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा ! देश की स्वतंत्रता में उनके बलिदान एवं त्याग को भुलाया नहीं जा सकता! देश की स्वतंत्रता के बाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने अनेक रचनात्मक सुधार करते हुए शिक्षा को देश के कोने कोने में पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया! शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए सीबीएससी आईटीआई एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग जैसे अनेक संस्थानों की स्थापना की! शिक्षकों के मान सम्मान के लिए हर संभव प्रयास किया! भारत सरकार ने उनके अतुल्य योगदान के लिए 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा! इस अवसर पर बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी शाहनवाज अली एवं स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर नीरज गुप्ता ने कहा कि जिन्ना की टू नेशन थ्योरी के प्रबल विरोधी थे भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद ! मौलाना अबुल कलाम आजाद ने देश की स्वतंत्रता के बाद हिंदू मुस्लिम एकता पर विशेष बल देते हुए राष्ट्र की अखंडता एवं विकास पर विशेष बल दिया !देश में राष्ट्रीय भावना को जागृत करने के लिए उन्होंने अनेक सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर भाग लिया! इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी अमित लोहिया ने कहा कि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उनकी मृत्यु के समय उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी! कोई बैंक खाता नहीं था! बस एक अलमीरा में एक दर्जन खादी के कुर्ते और पाजामे ,दो जोड़े चप्पल मात्र थे! हां यह जरूर था कि उनके कमरों में देश दुनिया की बहुमूल्य किताबों का जखीरा था जो आज राष्ट्र की संपत्ति है! इस अवसर पर वक्ताओं ने नई पीढ़ी एवं युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद एक सच्चे गांधीवादी थे! जिन्होंने अपने सीमित संसाधनों में सुखमय जीवन व्यतीत करते हुए राष्ट्र को विकसित राष्ट्र बनाने का मंत्र दिया था !उनकी प्रेरणा और संभल से लाभ उठाते हुए आज देश की युवा पीढ़ी गंगा जमुना तहजीब को जीवित रखते हुए राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बने! यही होगी देश की स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि!


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